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त से शुरू होने वाले मुहावरे :
428. तूती बोलना – (प्रभाव जमाना) – आजकल तो आपकी ही तूती बोल रही है ।
429.तकदीर चमकाना- (अच्छे दिन आना) – जब से उसे नौकरी मिली है उसकी तो तकदीर ही चमक गई ।
430. तख्ता उलटना – (बना हुआ काम बिगड़ना) – इस काम में मैने इतना कमाया था लेकिन तुमने दूसरा सौदा करके मेरा तख्ता उलट दिया ।
431. तबीयत फड़क उठना – (मन खुश होना) – पंकज उदास जी की गजलें सुनकर मेरी तो तबीयत ही फड़क उठी ।
432. तलवार के घाट उतारना – (मार देना) – श्रवण ने बहुत से द्रोहियों को अपनी तलवार के घाट उतार दिया ।
433. तलवे धो कर पीना – (खुशामद करना) – वह अपने मालिक के तलवे धोकर पिता रहा इसीलिए तो उसे आज अपने मालिक की सम्पत्ति में हिस्सा मिला ।
434. ताक में रहना – (मौका देखना) – मैं बहुत दिनों से तुम्हारी ताक देख रहा हूँ ।
435. ताना मारना – (व्यंग्य करना) – मेरे पिताजी हर छोटी -छोटी बात पर मुझे ताना मरते रहते है ।
436. तारे गिनना – (इंतजार करना) – मैं उनके आने तक रात भर तारे गिनता रहा ।
437. तारे तोड़ लाना – (असंभव काम करना) – उसने अपनी पत्नी से कहा की वह उसके लिए तारे भी तोड़ कर ला सकता है ।
438. तिनके का सहारा – (थोडा सहारा) – हम जैसे गरीबों के लिए तो तिनके का सहारा ही बहुत होता है ।
439. तिल का ताड़ कर देना – (बहुत बढ़ा चढ़ाकर कहना) – जितनी बात होती है उतनी ही कहनी चाहिए हमें तिल का ताड नहीं बनाना चाहिए ।
440.त्राहि-त्राहि करना – (बचाव के लिए गुहार करना) – जब से जमींदार किसानों पर अत्याचार करने लगे हैं तब से किसान त्राहि-त्राहि करने लगे हैं ।
441. तह देना – (दवाई देना) – डॉक्टर ने अपने मरीज को तह दी और मरीज उससे ठीक हो गया ।
442.तह -पर-तह देना – (खूब खाना) – कुंभकर्ण को खूब तह पर तह दिया जाता था क्योंकि वह बहुत विशाल था ।
443. तरह देना – (ध्यान न रखना) – डॉक्टर अपने मरीजों को तरह नहीं देता था इसलिय मरीज मर गया ।
444. तंग करना – (हैरान करना) – लवकेश ने मुझे बहुत तंग क्र दिया है ।
445. तंग हाथ होना – (गरीब होना) – आजकल हम कुछ खरीद नहीं सकते क्योंकि इस समय हमारा हाथ तंग है ।
446. तेवर बदलना – (क्रोध करना) – उससे कुछ कहना बेकार है उसके तेवर बदलते रहते हैं ।
447. तुक में तुक मिलाना – (खुशामद करना) – वह तो सामने तुक में तुक मिलाता है पर बाद में चुगली करता है ।
448. तोते की तरह आँखें फेरना – (बेमुरौवत होना) – उसके सामने कोई काम मत किया करो वह तोते की तरह ऑंखें फेरता रहता है ।
449. तार-तार होना – (बुरी तरह फटना) – उसके सामान से भरे थैले के तार-तार हो गये ।
450. तितर – बितर होना – (बिखर जाना) – उसके 6 भाई थे अब सब तितर बितर हो गये है ।
451. तेल की कचौड़ियों पर गवाही देना – (सस्ते में काम करना) – अदालत में उसने तेल की कचौड़ियों पर गवाही दी थी ।
452. तेली का बैल होना – (हर समय काम करना) – वह तो तेली के बैल की तरह है कभी थकता ही नहीं है ।
453. तिलांजली देना – (त्यागना) – धर्म ने अपनी पत्नी को तिलांजली दे दी ।
थ से शुरू होने वाले मुहावरे :
454. थुड़ी -थुड़ी करना – (धिक्कारना) – उसके नीच कर्म करने पर सभी उसके मुंह पर थुड़ी-थुड़ी कर रहे थे ।
455. थू थू करना – (लज्जित करना) – तुम्हारे कामों पर सब थू थू करेगे ।
456. थूककर चाटना – (वचन से मुकरना) – तुम जैसे आदमी पर कभी भी भरोषा नहीं करना चाहिए तुम तो थूककर चाटने लगते हो ।
457. थूक से सत्तू सानना – (बहुत कंजूसी करना) – मोहन से पैसे नहीं मिलेंगे वह तो थूक से सत्तू सानता है ।
459. थोथी बात होना – (बिना मतलब की बात होना) – पवन से बात करने का कोई फयदा नहीं है उसकी तो थोथी बात होती है ।
460. थाली का बैंगन होना – (अस्थिर विचारों वाला) – तुम उससे क्या कहते हो वह तो थाली का बैंगन है कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ ।
461. थाह लेना – (पता लगाना) – तुम स्यम्सिंह के बारे में थाह लेकर आओ ।
462. थैली खोलना – (मन खोलकर खर्च करना) – हमें हमेशा थैली खोलकर खर्च करना चाहिए ।
द से शुरू होने वाले मुहावरे :
463. दांत खट्टे करना – पराजित करना – महारानी लक्ष्मीबाई ने युद्ध में अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए ।
464. दाँतों तले उँगली दबाना – आश्चर्य प्रकट करना – सर्कस में छोटे से बच्चे के अद्भुत खेल को देखकर दर्शकों ने दाँतों तले ऊँगली दबा ली ।
465. दबी जबान से कहना – (धीरे-धीरे कहना) – नौकर ने अपनी बात मालिक से दबी जबान में कही जिससे उसके मालिक को सुनाई न दे ।
466. दम भरना – (विश्वास करना) – वह तो हमेशा अपनी दोस्ती का दम भरता रहता है ।
467. दर -दर मारा फिरना – (दुर्दशाग्रस्त घूमना) – पवन ने नौकरी छोड़ दी और अब वह दर-दर मारा फिर रहा है ।
468. दलदल में फसना – (मुश्किल में फसना) – वह गैर क़ानूनी कामों के दलदल में फस चूका है अब वह लौट नहीं सकता ।
469. दांतकटी रोटी होना – (पक्की दोस्ती होना) – नरेश और रमेश में दांतकटी रोटी जैसा सम्बन्ध है ।
470. दांत तोडना – (हराना) – अगर मुझसे कुछ उल्टा सीधा कहा तो मैं तुम्हारे दांत तोड़ दूंगा ।
471. दाँतों में तिनका लेना – (अधीनता स्वीकार करना) – वीर शिवाजी के सामने सभी लोक दाँतों में तिनका लेकर प्रस्तुत हुए ।
472. दाई से पेट छिपाना – (भेद छिपाना) – उसने मुझे अपना भेद बता ही दिया आखिर कब तक वह दाई से पेट छिपा पाता ।
473. दाना पानी उठना – (अन्न जल न मिलना) – जब उसने अपनी नौकरी छोड़ दी तो उसका घर से दाना पानी उठ गया ।
474. दाने-दाने को मुंहताज – (खाना न मिलना) – भिखारी दाने-दाने को मुंहताज हो गये हैं ।
475. दाल गलना – (मतलब निकलना) – तुम्हारी दाल यहाँ पर नहीं गलेगी तुम कहीं और जाओ ।
476. दाल भात का कौर समझना – (बहुत आसान समझना) – यह काम बहुत मुश्किल है कोई दाल भात का कौर नहीं है ।
477. दाल में काला होना – (संदेह होना) – वे दोनों छिपकर कुछ बातें क्र रहे हैं जरुर दाल में कुछ काला है ।
478. दिन दूना रात चौगुना होना – (तरक्की मिलना) – उसने पैसा कमाने में दिन दूनी रात चौगुनी कर दी ।
479. दिल के फफोले फोड़ना – (मन की भडास निकलना) – उनकी अपने घर में तो चलती है नहीं गरीबों पर अपने दिल के फफोले फोड़ते रहते हैं ।
480. दिल्ली दूर होना – (लक्ष्य दूर होना) – अभी तो तुम एंटर में पास हुए हो और वकील बनने की सोच रहे हो अभी दिल्ली दूर है ।
481. दीन दुनिया भूल जाना – (सुध बुध न रहना) – गौतम बुद्ध ध्यान लगाने में दीन दुनिया को भूल गये ।
482. दिया लेकर ढूँढना – (परेशान होकर ढूँढना) – आजकल ईमानदार व्यक्ति दिया लेकर ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे ।
483. दुनिया की हवा लगना – (सांसारिक अनुभव होना) – जब से उसे दुनिया की हवा लगी है वह हम को भूल गया है ।
484. दुम दबाकर भागना – (कायर होना)- युद्ध में पाकिस्तानी सैनिक दुम दबाकर भाग गये ।
485. दूज का चाँद होना – (मुश्किल से दिखना) – अरे भाई तुम तो दूज का चाँद हो गये हो आजकल दीखते ही नहीं हो ।
486. दूध का दूध पानी का पानी करना – (सही न्याय करना) – न्यायधीश के फैसले ने दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया ।
487. दूध की लाज रखना – (माँ का सम्मान रखना) – पुष्प के बेटे ने उसके दूध की लाज रख ली ।
488. दूध की नदियाँ बहाना – (संपन्नता की भरमार होना) – वह तो अब इतनी उन्नति पर है की उनके यहाँ पर दूध की नदियाँ बहती हैं ।
489. दूध के दांत न टूटना – (अनुभवहीन होना) – गणेश अभी तुम्हारे दूध के दांत नहीं टूटे हैं पर मैंने ये दुनिया देखी है ।
490. दूधो नहाओ पूतो फलो – (धन और संतान मिले) – एक माँ ने अपने बेटे से कहा दूधो नहाओ पूतो फलो ।
491. दो दिन का मेहमान – (जल्दी मरनेवाला) – तुम उससे कुछ मत कहना वह तो बेचारा दो दिन का मेहमान है ।
492. दो नावों पर पैर रखना – (दो विरोधी काम साथ करना) – सुमेस दो नावों पर सवार होने वाले कभी भी मर सकते हैं ।
493. द्रविड़ प्रणायाम करना – (बात को घुमाकर कहना) – रानी हर बात को दूसरों से द्रविड़ प्रणायाम करने को कहती है ।
494. दौड़ धूप करना – (बहुत प्रयास करना) – उसने बहुत दौड़ धूप की पर उसे नौकरी नहीं मिली ।
495. दिन में तारे दिखाई देना – (घबरा जाना) – जब मैंने उसे मारा तो उसे दिन में तारे दिखाई दे गये ।
496. दो-दो हाथ करना – (युद्ध करना) – कृष्ण ने कंस से खा की आओ दो-दो हाथ करते हैं ।
497. द्रोपदी का चीर होना – (अनंत होना) – तुम्हारा यह काम तो द्रोपदी का चीर हो गया है ।
498. दिमाग आसमान पर चढना – (ज्यादा गर्व होना) – तुम राहुल से बात मत किया करो उसका दिमाग तो आसमान पर चढ़ रहा है ।
499. दोनों हाथों में लड्डू होना – (बहुत लाभ होना) – क्या करें उसके तो दोनों हाथों में लड्डू है ।
500. दूसरे के कंधे पर रखकर बंदूक चलाना – (दूसरे के माध्यम से काम करना) – अक्षय तो उन व्यक्तियों में से है जो दूसरों के कंधे पर रखकर बंदूक चलते हैं ।
501. दिल छोटा करना – (दुखी होना) – बहन दिल छोटा मत करो तुम्हारा बेटा जल्द ही घर लौट आएगा ।
502. दिन फिरना – (समय बदलना) – क्या करें जब से उसने भगवन को नमन करना शुरू किया है उसके तो दिन ही फिर गये ।
503. दबे पाँव चलना – (कोई आहट न करना) – अरे भाई दबे पाँव चलना अगर किसी को पता चल गया तो बहुत पिटाई होगी ।
504. दमड़ी के लिए चमड़ी उधेड़ना – (छोटी बात के लिए बड़ा दंड देना) – राजा कंस के सैनिक दमड़ी क लिए चमड़ी उधेड़ लेते हैं ।
505. दम तोड़ देना – (मर जाना) – अनुज भगवान के दर्शन करने गया था लेकिन उसने भगवान के मन्दिर में ही दम तोड़ दिया ।
506. दाँत पीसना – (गुस्सा करना) – रामू के पिता जी हमेशा उस पर दांत पिसते रहते हैं ।
507. दाँत पीसकर रहना – (गुस्सा होकर चुप रहना) – संजय के भाई ने उसे मरने के लिए कहा लेकिन वह दांत पीसकर रह गया ।
508. दाँत उखाड़ना – (कड़ा दण्ड देना) – सैनिकों ने उसके सारे दांत उखाड़ दिए लेकिन वह तब भी नहीं माना ।
509. दाहिना हाथ होना – (भारोषेवाला व्यक्ति) – नानू अपने मालिक का दाहिना हाथ था लेकिन वह मारा गया ।
510. दामन पकड़ना – (सहारा लेना) – राकेश ने सहारा लेने के लिए अपने बड़े भाई का दामन पकड़ लिया ।
511. दाव खेलना – (धोखा देना) – शकुनी ने पांडवपुत्रों के खिलाफ दाव खेला और उसमे सफल हो गया ।
512. दीदे का पानी ढल जाना – (बेशर्म होना) – हुमायु तो मानो दीदे के पानी ढलने के हैं ।
513. दिमाग खाना – (बकवास करना) – नैन्सी मेरा दिमाग मत खाओ मुझे बहुत काम है ।
514. दिल बढ़ाना – (साहस भरना) – आजकल लोग किसी के भी दुःख में उसका दिल नहीं बढ़ते है ।
515. दिल टूटना – (साहस टूटना) – अपनी प्रेमिका के मर जाने से उसका दिल बिलकुल टूट गया ।
516. दुकान बढ़ाना – (दुकान बंद करना) – मेरे पिताजी ने कहा की दुकान को बढ़ा क्र घर आ जाना ।
517. दिल दरिया होना – (उदार होना) – क्या करें बिचारे का दिल दरिया था इसलिय पिघल गया ।
518. दूर के ढोल सुहावने – (दूर से अच्छा होना) – लोग कहते हैं की दूर के ढोल ही सुहावने लगते हैं वरना सब एक जैसे होते हैं ।
ध से शुरू होने वाले मुहावरे :
519. धक्का लगाना – (दुःख होना) – आजकल किसानों का फसल में बहुत धक्का लगता है ।
520. धज्जियाँ उड़ाना – (दोष दिखाना) – शशि ने धोखेबाज की धज्जियाँ उदा दी ।
521. धता बताना – (टाल देना) – मैंने नेता जी से सहायता मांगी तो उन्होंने मुझे धता बता दिया ।
522. धरना देना – (सत्याग्रह करना) – आन्दोलनकारियों ने मंत्रीजी के खिलाफ धरना दे दिया ।
523. धुएँ के बादल उड़ाना – (भरी गप्पे मारना) – उसका कभी भी विश्वास मत करना वह तो धुएँ के बादल उड़ाने में बहुत माहिर
है ।
524. धुन सवार होना – (काम पूरा करने की लगन होना) – उसको तो कविता बनाने की धुन सवार हो गई है जब तक ये काम पूरा नहीं होगा तब तक वह शांति से नहीं बैठेगा ।
525. धूप में बाल सफेद करना – (अनुभवहीन होना) – तुम्हे इस उम्र में इन सब बातों के बारे में नहीं पता है तो तुमने धूप में अपने बाल सफेद किये हैं ।
526. धुल फांकना – (मारा मारा फिरना) – रवि को पढने लिखने का काम तो है नहीं और धुल फांकता फिरता है ।
527. धुल में मिलना – (बर्बाद होना) – अपने से ताकतवर से लड़ाई करोगे तो धुल में मिल जाओगे ।
528. धोती ढीली होना – (डर जाना) – शेर को देखते ही लोगों की धोती ढीली हो गई ।
529. धोबी का कुत्ता – (बेकार आदमी) – उस आदमी की मुझसे मत पूछो वह तो धोबी का कुत्ता है कोई काम ही नहीं करता ।
530. धाक जमाना – (रॉब जमाना) – सुखदेव सब जगह अपनी धाक जमता फिरता है ।
531. धरती पर पाँव न रखना – (अभिमानी होना) – उसका बेटा विदेश से आया है इस वजह से वो धरती पर पाँव ही नही रख रहा है ।
532. धुआँ सा मुंह होना – (लज्जित होना) – जब वह फ़ैल हो गया तब वह धुआँ सा मुंह लेकर रह गया ।
न से शुरू होने वाले मुहावरे :
533. नमक मिर्च लगाना – (बढ़ा-चढ़ाकर कहना) – चुगलखोर व्यक्ति हमेशा नमक मिर्च लगाकर बातें करते हैं ।
534. नाक रगड़ना – (भूल स्वीकार करके क्षमा माँगना) – इन्सान को कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे उसे दूसरों के सामने नाक रगडनी पड़े ।
535. नौ दो ग्यारह होना- (भाग जाना) – पुलिस को देखते ही चोर नौ दो ग्यारह हो गये ।
536. नजर पर चढना – (पसंद आना) – रमेश की नजर मेरा पैन चढ़ गया इसलिए उसने मुझसे छीन लिया ।
537. नाक कट जाना – (इज्जत जाना) – तुम्हारे चोरी करते पकड़े जाने की वजह से हमारे खानदान की तो नाक ही कट गई ।
538. नाक का बाल होना – (प्रिय होना) – बीरबल बहुत चतुर थे इसीलिए वो अकबर की नाक के बाल हो गये ।
539. नाकों चने चबवा देना – (बहुत परेशान करना) – आजकल बिजली विभाग वाले घरों पर छापा मारकर नाकों चने चबा देते हैं ।
540. नाक भौं चढ़ाना – (नाराज होना) – गंदगी किसी को पसंद नहीं होती इसलिए सभी नाक भौं चढ़ाना शुरू कर देते हैं ।
541. नाक में दम करना – (बहुत तंग करना) – स्कूल के बच्चों ने तो मेरी नाक में दम क्र दिया ।
542. नानी याद आना – (होश उड़ना) – जब पुलिस ने चोर को पकड़ लिया तो चोर को नानी याद आ गई होगी ।
543. नीचा दिखाना – (अपमानित करना) – वह बहुत बोलता था एक न एक दिन उसे नीचा तो देखना ही था ।
544. नीला -पीला होना – (गुस्सा होना) – उसकी छोटी सी बात पर उसके पिताजी नील-पीले हो गये ।
545. न इधर का न उधर का – (कहीं का न होना) – दोनों जगह बैर करोगे टी न इधर के रहोगे न उधर के ।
546. नाच नचाना – (तंग करना) – वह उसे अपनी उँगलियों पर नाच नचाने लगा है ।
547. नुक्ताचीनी करना – (दोष निकालना) – तुम हर बात में नुक्ताचीनी मत किया करो बहुत मुश्किल से खाना मिलता है ।
548. निन्यानवे के फेर में पड़ना – (धन जुटाना) – तुम निन्यानवे के फेर में मत पड़ो जितना है उसी में खुश रहना सीखो ।
549. नजर चुराना – (आँखें चुराना) – तुम मुझे कुछ नहीं बताते हो आजकल मुझसे नजर चुराने लगे हो ।
550. नमक अदा करना – (फर्ज निभाना) – उसने उस घर का नमक खाया है अब नमक तो अदा करना ही पड़ेगा ।
551. नकेल हाथ मेँ होना – (वश मेँ होना) – उसकी नकेल तो जादूगर के हाथ में है वो जैसा कहेगा उसको करना होगा ।
552. नाक चोटी काटकर हाथ मेँ देना – (बुरा हल करना) – सुनीता ने बबिता की नाक चोटी काटकर हाथ में दे दी ।
553. नाक पर मक्खी न बैठने देना – (साफ होना) – उसके यहाँ पर इतनी सफाई है की नाक पर मक्खी तक नहीं बैठ सकती ।
554. नौ दिन चले ढाई कोस – (धीमी गति से कार्य करना) – तुम संजना से काम करने को मत कहो वह तो नौ दिन में ढाई कोस चलती है ।
555. नशा उतरना – (घमंड उतरना) – शिक्षा ने उसे उसकी सच्चाई बताकर उसका नशा उतर दिया ।
556. नदी नाव का संयोग – (इत्तिफाक से हुई मुलाकात) – इन दोनों का संयोग ऐसा मानो जैसे नदी और नाव का संयोग ।
557. नसीब चमकना – (भाग्य चमकना) – जब से वह भगवान की भक्ति में लीन हो गया है तब से उसकी किस्मत चमक रही है ।
558. नींद हराम होना – (न सोना) – इस काम को पूरा न कर पाने की वजह से मेरी तो नींद हराम हो गई है ।
559. नेकी और पूंछ-पूंछ – (बिना कहे भलाई करना) – उसने मुझे बताया भी नहीं और नेकी और पूंछ -पूंछ कह क्र काम को पूरा कर दिया ।
प से शुरू होने वाले मुहावरे :
560. पंचतत्व को प्राप्त करना – (मर जाना) – सुमन मरकर पंचत्व को प्राप्त हो गई ।
561. पगड़ी उछालना – (लज्जित करना) – शादी के मंडप में शर्त पूरी न होने पर लडके के पिता ने लडकी के पिता की पगड़ी उछाल दी ।
562. पगड़ी रखना – (मर्यादा की रक्षा करना) – आजकल की लडकियाँ पगड़ी रखना ही पसंद नहीं करती हैं ।
563. पत्थर की लकीर – (स्थायी) – युद्धिष्ठिर की बात को पत्थर की लकीर माना जाता था ।
564. पत्थर पर दूब जमना – (असंभव काम होना) – अश्व्थामा को मारना पत्थर पर दूब जमने के समान है ।
565. पत्थर से सिर फोड़ना – (असंभव के लिए कोशिश करना) – पत्थर से सिर फोड़ने से कुछ प्राप्त नहीं होगा जो कुछ हो सकता है वो करो ।
566. पहाड़ से टक्कर लेना – (अपने से बलवान से लड़ना) – तुम बलराम से लड़ाई करने के खाब मत देखो पहाड़ से टक्कर लेना आसान बात नहीं है ।
567. पाँव उखड़ जाना – (हार जाना) – पाकिस्तानी सेना के पाँव जंग से उखड़ गये ।
568. पाँव फूंक फूंक कर रखना – (सोचकर काम करना) – आज की सरकार पाँव फूक फूककर रखती है ।
569. पजामे से बाहर होना – (आपे से बाहर होना) – वह सच बात सुनकर आपे से बाहर हो गया ।
570. पानी की तरह पैसा बहाना – (अन्धाधुन्ध खर्च करना) – सीमा कुछ नहीं सोचती वह तो पानी की तरह पैसा बहती है ।
571. पानी पानी होना – (बेइज्जत होना) – चोरी करते पकड़े जाने पर वह पानी पानी हो गई ।
572. पानी में आग लगाना – (असंभव को संभव करना) – सुधा ने कहा की मैं पानी में आग लगा सकती हूँ ।
573. पिल पड़ना – (पूरी जान से लगना) – वह जिस काम को कर्ता है उसके पिल पड़ गये ।
574. पीठ ठोंकना – (शाबाशी देना) – जब शिवानी पास हो गई तो उसके अध्यापक ने उसकी पीठ ठोकी ।
575. पीठ दिखाना – (भाग जाना) – दुर्योधन युद्ध में पीठ दिखाकर भाग गया ।
576. पेट में चूहे दौड़ना – (जोरों की भूख लगना) – आज मुझे खाना न मिलने की वजह से मेरे पेट में चूहे दौड़ रहे हैं ।
577. पौ बारह होना – (लाभ का अवसर मिलाना) – जैसे ही वह अपने आफिस आया तो उसके पौ बढ़ हो गये ।
578. प्राण मुंह को आना – (बहुत दुःख होना) – उसकी हालत को देखकर मेरे तो प्राण मुंह को आ गये ।
579. प्राणों से हाथ धोना – (म्रत्यु को प्राप्त होना) – अभिमन्यु ने चक्रविहू में अपने प्राणों से हाथ धो दिए ।
580. प्राण हथेली में लेना – (मरने को तैयार होना) – भारतीय सैनिक अपने प्राणों को हथेली पर लेकर जंग लड़ते हैं ।
581. प्राणों की बाजी लगाना – (बहुत साहस करना) – भारतीय सेना ने अपने प्राणों की बाजी लगाकर युद्ध जीता था ।
582. पोल खोलना – (राज प्रकट करना) – सब लोगों ने मिलकर सलमान की पोल खोल दी ।
583. पसीना-पसीना होना – (थक जाना) – आज श्याम ने सारा दिन काम किया जिससे वह पसीना पसीना हो गया ।
584. पहाड़ टूट पड़ना – (विपदा आना) – उसके इकलौते बेटे की मौत से उस पर तो दुखों का फाड़ टूट पड़ा ।
585. पाँचों उँगलियाँ घी में होना – (सब जगह से लाभ होना) – सरकार को गरीब की परवाह क्यूँ होगी उनकी तो पाँचों उँगलियाँ घी में होती है ।
586. पानी फेर देना – (निराश कर देना) – मैंने इतनी मुश्किल से लोगों को तुम्हारी नौकरी के लिए राजी किया था लेकिन तुमने सारे किये कराये पर पानी फेर दिया ।
587. पानी पी पीकर कोसना – (गलियां देते जाना) – मैंने उसे जरा सा कुछ कह क्या दिया वह तो मुझे पानी पी पीकर कोसने ही लगा ।
588. पापड़ बेलना – (व्यथ जीवन बिताना) – सरकारी नौकरी पाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ते है ।
589. पेट बाँधकर रहना – (भूखे रहना) – वह अपने बच्चों को खिलने के लिए खुद पेट बाँधकर रह रहा है ।
590. पेट में दाढ़ी होना – (दिमाग से चतुर) – कुछ लोग सिर्फ सकल से भोले होते हैं लेकिन उनके पेट में दाढ़ी होती है ।
591. पैरों तले जमीन खिसकना – (होश उड़ जाना) – जब उसे अपने बेटे की मौत का पता चला तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई ।
592. पैरों में मेंहदी लगाकर बैठना – (जा न पाना) – जब उसने काम करने से मना कर दिया तो पिताजी ने उससे कहा की तुम्हारे पैरों में मेंहदी लगी है क्या ।
593. पट्टी पढ़ाना – (बुरी सीख देना) – उर्मिला सब बच्चों को उल्टी पट्टी पढ़ती रहती है ।
594. पाकेट गर्म करना – (रिश्वत देना) – आजकल लोग अफसरों की पाकेट गर्म करके अपना काम करवा लेते हैं ।
595. पहलू बचाना – (कतराना) – जब मैंने उसे देख लिया तो वह पहलु बचाकर निकल दिया ।
596. पते की कहना – (रहस्य की बात कहना) – एरेगोन ने तो जैसे मेरे पते की बात ख दी ।
597. पानी का बुलबुला – (क्षणभंगुर वस्तु होना) – वह तो पानी का बुलबुला है न जाने कब फूट जाये ।
598. पानी देना – (सींचना) – मैंने इस पेड़ को बहुत ही प्यार से पानी देकर बड़ा किया है ।
599. पानी न माँगना – (तभी मर जाना)- वह तो ऐसे मर गया की किसी से पानी भी नहीं माँगा ।
600. पानी पर नींव डालना – (अस्थिर वस्तु का आधार होना) – तुम लोग पानी पर नाव डालना बंद करो और अपने अपने घर जाओ ।
601. पानी पीकर जाति पूंछना – (काम होने के बाद उसकी सभ्यता का निर्णय करना) – तुम लोग उसे नहीं जानते वह तो पानी पीकर जाति पूंछ लेती है ।
फ से शुरू होने वाले मुहावरे :
602. फंदे में पड़ना – (धोखा खाना) – झगड़ा किसी और का था लेकिन फंदे में वह पड़ गया ।
603. फटेहाल होना – (बुरी हालत होना) – आजकल लोग गरीबी की वजह से फटेहाल हो गये है ।
604. फूंक से पहाड़ उड़ाना – (कम शक्ति से बड़ा काम होना) – तुम फूंक से पहाड़ उड़ने की बात मत करो यह तुम्हारे बस की बात नहीं है ।
605. फूटी आँखों न भाना – (अप्रिय होना) – सुप्रिया को अपना सौतेला बेटा फूटी आँख नहीं भाता है ।
606. फेर में डालना – (मुश्किल में डालना) – उसने किसी एक का चुनाव करने की कहकर मुझे फेर में दाल दिया ।
607. फूलकर कुप्पा होना – (खुशी से इतराना) – जब वह अपने बचपन के दोस्त से मिला तो वह फूलकर कुप्पा हो गया ।
608. फट पड़ना – (एकदम से गुस्सा आना) – जगमोहन एकदम से गुस्से से फट पड़ा ।
609. फूंक फूंक क्र कदम रखना – (सावधानी देखना) – आजकल के लोग फूंक फूंककर कदम रखते हैं ।
610. फूलना-फलना -(धन और कुल होना) – एक माँ ने अपने बेटे से आशीर्वाद देते समय कहा की फूलो – फ्लो ।
611. फफोले फोड़ना – (वैर होना) – उसकी मुझसे दुश्मनी है इसलिए मैं उसके हमेशा फफोले फोड़ता रहता हूँ ।
612. फब्तियां कसना – (ताना मारना) – जब सिक्षा कक्षा में फेल हो गई तब उसके पिता ने उस पर खूब फब्तियां कसीं ।
613. फूल झड़ना – (मीठा बोलना) – जब शशि बोलती हैतो ऐसा लगता है जैसे फूल झड़ रहे हो ।
ब से शुरू होने वाले मुहावरे :
614. बगलें झाँकना – (बेइज्जत होकर चारों तरफ देखना ) – जब कर्जा न चुकाने की वजह से वह सब जगह बगलें झाँकने लगा ।
615. बट्टा लगाना – (कलंक लगाना) – उसने अपनी परिवार की इज्जत पर बट्टा लगा दिया ।
616. बरस पड़ना – (क्रोध से बातें सुनाना) – शिवानी मुझ पर बिना किसी बात के बरस पड़ी ।
617. बाग बाग होना – (खूब खुश होना) – जब उसे अपने पास होने की बात का पता चला तो वह बाग बाग हो गया है ।
618. बाजी ले जाना – (आगे निकलना) – मिल्खा सिंह ने दौड़ में बाजी ले ली ।
619. बात चलाना – (शुरू करना) -आजकल तो मेरी शादी की बातें चल रही हैं ।
620.बात काटना -( बीच में बोलना) – छोटों को बड़ों की बात काटना उचित नहीं है ।
621. बातों में आना – (धोखा खाना) – तुम लोग सोहन की बातों में आ जाते हो वह तो धोखेबाज है ।
622. बाल बाँका न होना – (हानि न होना) – संजना के प्रेमी ने उससे कहा की वह उसका बाल भी बाँका नहीं होगा ।
623. बाल की खाल निकलना – (बिना मतलब की बात करना) -बात की खाल निकलने से अच्छा अपने अपने काम में ध्यान दो ।
624. बासी कढ़ी में उबाल आना – (बुढ़ापे में जवानी की आशा करना) – आजकल लोगों में बासी कढ़ी में उबाल आने की बातें होती हैं ।
625. बीड़ा उठाना – (जिम्मेदारी लेना) – सूर्य पुत्र कर्ण ने अंग देश की प्रजा को आजादी दिलाने का बीड़ा उठाया था ।
626. बुखार उतारना – (गुस्सा करना) – सोहन के पिता ने खा की मैं दो मिनट में तेरा बुखार उतार दूंगा ।
627. बेडा पार लगाना – (मुसीबत से निकालना) – अब तो भगवान ही हमारा बेडा पर लगा सकते हैं ।
628.बे सिर पैर की बात करना – (बिन मतलब की बात करना) – तुम लोग बेसिर पैर की बातें करना छोड़ो और अपना अपना काम करो ।
629. बेवक्त की शहनाई बजाना – (अवसर के खिलाफ काम करना) – वे लोग तो उल्टे हैं बेवक्त की शहनाई बजाते रहते हैं ।
630. बोलती बंद करना – (बोलने नहीं देना) – मैंने गलत काम करने के लिए मना किया लेकिन वह नहीं माना तो मैंने उसकी बोलती बंद कर दी ।
631. बौछार करना – (अधिक देना) – कन्यादान करते समय लडकी के पिता ने पैसे की बौछार कर दी ।
632. बन्दर घुड़की – (बेकार धमकी देना) – तुम बन्दर घुड़की मत दिया करो तुम से कुछ नहीं होगा ।
633. बखिया उधेड़ना – (राज खोलना) – 1921 में महात्मा गाँधी ने अंग्रेजों की बखिया उधेड़ दी ।
634. बछिया का ताऊ – (मूर्ख) – वह तो बछिया का ताऊ है जिस टहनी पर बैठा है उसी को काट रहा है ।
635. बड़े घर की हवा खाना – (जेल जाना) – सतवीर ने शराब का काम किया और फस गया तो उसे बड़े घर की हवा खानी पड़ी ।
636. बल्लियों उछलना – (बहुत खुश होना) – क्रिकट में जितने पर भारत के खिलाडियों ने बल्लियाँ उछाल दी ।
637. बाएँ हाथ का खेल – (आसान काम) – तुम लोग इसे बाएँ हाथ का खेल मत समझो यह बहुत मुश्किल काम है ।
638. बाँछे खिल जाना – (बहुत खुश होना) – पवन को देखते ही उसके तो बाँछे खिल गये ।
639. बाजार गर्म होना – (धंधा अच्छा चलना) – आजकल तो बाजार बहुत गर्म हो रहा है इसमें बहुत लोगों को बहुत लाभ मिल रहा है ।
640. बात का धनी होना – (वादे का पक्का होना) – कार्तिक तो बात का धनी है जो ख देता है पूरा करता है ।
641. बिल्ली के गले में घंटी बंधना – (खुद को परेशानी में डालना) – जब लोग बिल्ली के गले में घंटी बाँधते रहते हैं ।
642. बेपेंदी का लोटा – (पक्ष बदलने वाला) – अनीता तो दोनों तरफ अपनी बातें सुनती है वह तो बेपेंदी के लोटे की तरह है ।
643. बगुला भगत – (छलने वाला) – भरत की मत पूछो वह उपर से सीधा है लेकिन अंदर से बगुला भगत है ।
644. बहती गंगा में हाथ धोना – (दूसरे के काम से लाभ उठाना) -जब वह अपना काम करवाने गया था तो मैंने भी उसका काम बनता देख अपना भी काम बना लिया यह तो बहती गंगा में हाथ धोने वाली बात है ।
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